चित्र गूगल से साभार |
कहानी- पूरी कहानी मेहरा परिवार के इर्द-गिई घूमती है। मेहरा परिवार के मुखिया कमल मेहरा (अनिल कपूर) एक बड़े और सफल बिजेनसमेन हैं। उनकी पत्नी नीलम मेहरा (शेफाली) दोनों रहते तो साथ हैं लेकिन उनमें बनती नहीं। इनकी बेटी आयशा (प्रियंका) की शादी मानव (राहुल बोस) से हो चुकी है। आयशा भी अपने पिता की तरह सफल व्यवसायी है लेकिन मानव के साथ खुश नहीं है। कबीर मेहरा (रणवीर सिंह) मेहरा परिवार का वारिस है। कबीर अपनी जिंदगी खुद से जीना चाहता है वहीं उसके माता-पिता उसे अपने हिसाब से जीने देना चाहते हैं। कहानी तब शुरू होती है जब कमल मेहरा अपनी शादी की ३०वीं सालगिरह मनाने के लिए एक क्रूज पर सबको टूर पार्टी देते हैं। जहां कमल अपनी डूबती कंपनी को बचाने के लिए अपने बिजनेस कम्पेटिटर की बेटी से कबीर की शादी करवाने चाहता है जबकि कबीर को एक डांसर फराह (अनुष्का शर्मा) से प्यार है। कमल कबीर को शादी के लिए ब्लैकमेल भी करता है और दोनों में एक डील पक्की होती है। क्रूज पर ही आयशा की मुलाकात अपने पुराने प्रेमी सनी (फरहान खान) से होती है। सनी कमल के मैनेजर का बेटा है। कमल ने सनी को अमरिका इसलिए पढऩे भेजा दिया ताकि वो आयशा से दूर रह सके। फिल्म में महत्वाकांक्षा और दरकते रिश्तों की कहानी को बखूबी दिखाया गया है। कमल मेहरा और नीलम मेहरा के बीच क्या होता है, कबीर और फराह मिल पाते हैं कि नहीं, आयशा सनी की हो पाती है कि नहीं ? जानने के लिए पूरी फिल्म देखें।
ऐक्टिंग- फिल्म में अनिल कपूर ने महत्वाकांक्षी बिजनेसमेन के रोल को बखूबी निभाया है। उनकी पत्नी बनीं शेफाली शाह ने भी अपने रोल के साथ न्याय किया है। रणवीर हमेशा की तरह अपने रोल में फिट बैठे हैं तो वहीं अनुष्का के लिए फिल्म में कम संभावनाएं रहीं। प्रियंका का रोल थोड़ा और बड़ा होता तो वो और अच्छा कर सकती थीं। फरहान के रोल को खानापूर्ति के लिए रखा गया लेकिन वे उसमे में जमे हैं। मेहरा फैमली का डॉगी प्लूटो, की उपस्थिति फिल्म में महत्पूवर्ण रही। उसे आवाज आमिर खान ने दिया है।
म्यूजिक- फिल्म में संगीत की बात की जाए तो कुछ खास नहीं है। हालांकि एक गााना पहले से ही पंसद किया जा रहा है और वा गाना 'गल्ला' है। इसके अलावा फिल्म में संगीत के लिए कुछ खास नहीं है।
देखें की नहीं- अगर वीकेंड पर अगर फैमली के साथ फिल्म देखने का मूड बना रहे हैं तो दिल धड़कने दो देख सकते हैं। फिल्म की ऐंडिंग आपकों पुरानी फिल्मों की तरह लगेगी जिसमें आखिरी में गिले-शिकवे भुलाकर परिवार एक हो जाते हैं। फिल्म की लोकेशंस शानदार है। स्पेन, इटली और फ्रांस की सैर आप फिल्म के माध्यम से कर सकते हैं। फिल्म कहीं-कहीं बोरिंग भी लगती है। कुल मिलाकर फिल्म एक बार देखी जा सकती है।
रेटिंग- 2.5/5
बेहतरीन अभिव्यक्ति एवं अनूठा कार्य है ! मंगलकामनाएं
जवाब देंहटाएंसधी समीक्षा
जवाब देंहटाएंफिल्म देखने का समय नहीं मिलता लेकिन ब्लॉग पर इसी बहाने फिल्म की कहानी पढ़कर लगता है फिल्म कैसी है। .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
सटीक समीक्षा....दिल धड़कने दो के स्टार कास्ट को जानने और जोया अख्तर का नाम जुड़ने के कारण दर्शक सिनेमाघरों तक जरुर जायेंगे, लेकिन समीक्षा पढ़कर लगता है कि उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी.
जवाब देंहटाएंसटीक समीक्षा ... अभी देखि तो नहीं पर सुनी है कहानी और ये भी की देखि जा सकती है ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर - समीक्षा । प्रशंसनीय - प्रस्तुति । चरैवेति - चरैवेति ।
जवाब देंहटाएंसटीक समीक्षा
जवाब देंहटाएंबढ़िया आंकलन
जवाब देंहटाएंhttp://ghoomofiro.blogspot.in/